१ उपर जिसका अंत नहीं उसे आसमान कहते है
जहामे जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है
२ बचपनमे गोद देने वालीको बूढ़ा पे में दगा देने व्वाला मत बनना
३ पहले आंसू आते थे तब तू याद आती थी आज तू याद आती है तब आंसू आते है
४ जिन बेतेके जनम पर माँ-बापने खुसी और पड़े बांटे
वोही बेटे जवान होकर कनाफुसिसे माँ-बाप को बांटे
कैसी करुनाता || है रे मजबुर्रिया
५ बतावारेके समय घरकी हर चीज पानेके लिए जागदा करनेवाले बेटे
दो चीजो के लिए उदार बनाते है -ले जाओ -हमें नहीं चाहिए
माँ-बाप
६ माँ- तुने तीर्थंकर को जना है , संसार तेरे ही दमसे बनही
तू मेरी पूजा है,मन्नत है मेरी
तेरे ही कदमोमे जन्नत है मेरी....
७ माँ - तू कैसी हो - इतना ही पूछ उसे मिल गया सब कुछ
८ बचपनमे मंगलसूत्र बेचकर भी तुम्हे बड़ा करनेवाले माँ-बाप को ही
घरसे निकलनेवाले ए युवान,
तुम तुमरे जीवनमे अमंगल सूत्र शुरू कर रहे हो
९ मातृभाषा, मातृभूमि और माँ का कोई विकल्प नहीं
१० डेढ़ किलो दुधि डेढ़ घंटे तक उठानेसे तुमरे हाथ दुःख जाते है
माँ को सतानेसे पहले इतना तो सोचो
तुम्हे नव नव महीने उसने पेटमे तुमको कैसे उठाया होगा
११ माँ=
जो मस्ती तेरी अन्खोमे है,मदिरालायामे नहीं
अमीरी दिल की कोई महालायामे नहीं
शीतलता पानेके लिए कहा भटकता है मानव
जो माकी गोद में है वो हिमालय में भी नहीं
१२ बचपनके आठ साल तुजे उंगली पकड़ कर जो माँ- बाप स्कुल ले जाते थे
उस माँ- बापको बुढ़ापे के आठ साल सहारा बनाकर मंदिर ले जना
शायद थोडासा तेरा कर्ज और फर्ज भी बनता है
| Gunvant Parikh | Feb 28![]() | ||
| Gunvant Parikh | 8:24 AM (16 minutes ago)![]() | ||
8:35 AM (5 minutes ago)
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Dear Manishbhai and Dharmendra bhai, ,
I enclose some quotations for mother's day

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